टाटा समूह के जमशेदजी टाटा भी लुमायर भाईयों की फिल्में देखना चाहते थे, लेकिन उन्हें वोटसन होटल में प्रवेश नहीं मिला. रंगभेद की इस घृणित नीति के खिलाफ उन्होनें आवाज उठाई और दो साल बाद वोटसन होटल की आभा को धूमिल कर दे ऐसी भव्य ताजमहल होटल का निर्माण शुरू करवाया.
1903 में यह अति सुंदर होटल बनकर तैयार हो गई. कुछ समय तक इस होटल के दरवाजे पर एक तख्ती भी लटकती थी जिसपर लिखा होता था – ब्रिटिश और बिल्लियाँ अंदर नहीं आ सकती
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